चला जा रहा हूँ , चला जा रहा हूँ |
उँचे पहाड़ों पे , उठता हुआ मैं |
चला जा रहा हूँ , चला जा रहा हूँ |
नीचे है घाटी या कोई समुंदर |
गहराई में गिरता , चला जा रहा हूँ |
चला जा रहा हूँ , चला जा रहा हूँ |
वो कानन, कुसुम और कोमल से नभचर |
वो उँची उड़ाने , चला जा रहा हूँ |
वो नाचते निर्झर , वो नीर निरंतर |
कल-कल का गुंजन , चला जा रहा हूँ |
हरी सी वो चादर जो खुद मे लपेटे |
वो भूरा सा भूदर, चला जा रहा हूँ |
वो स्वेत सा ओढन, जो लगता है अंबर |
मेघों मे भीगता मैं, चला जा रहा हूँ |
हैं साथी जो पथ मे वो साथ समान्तर |
कर में मैं कर कर , चला जा रहा हूँ |
चला जा रहा हूँ , चला जा रहा हूँ |
उँचे पहाड़ों पे , उठता हुआ मैं |
चला जा रहा हूँ , चला जा रहा हूँ |
उँचे पहाड़ों पे , उठता हुआ मैं |
चला जा रहा हूँ , चला जा रहा हूँ |
नीचे है घाटी या कोई समुंदर |
गहराई में गिरता , चला जा रहा हूँ |
चला जा रहा हूँ , चला जा रहा हूँ |
वो कानन, कुसुम और कोमल से नभचर |
वो उँची उड़ाने , चला जा रहा हूँ |
वो नाचते निर्झर , वो नीर निरंतर |
कल-कल का गुंजन , चला जा रहा हूँ |
हरी सी वो चादर जो खुद मे लपेटे |
वो भूरा सा भूदर, चला जा रहा हूँ |
वो स्वेत सा ओढन, जो लगता है अंबर |
मेघों मे भीगता मैं, चला जा रहा हूँ |
हैं साथी जो पथ मे वो साथ समान्तर |
कर में मैं कर कर , चला जा रहा हूँ |
चला जा रहा हूँ , चला जा रहा हूँ |
उँचे पहाड़ों पे , उठता हुआ मैं |
चला जा रहा हूँ , चला जा रहा हूँ |
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