लोग अक्सर कहते हैं कि पुलिस सही तरीके से क्राइम कंट्रोल नहीं करती है लेकिन पुलिस करे तो करे क्या। उग्र भीड़ को क्राइम कंट्रोल करने पर आधारित एक लघु कथा।
उन्मादी भीड़ हाथों में नंगी तलवारें, लाठी, डंडे लिए पागलों की तरह पुलिस वालों को पत्थर मार मार कर खदेड़ रही थी। उसकी पुलिस भीड़ से अपना असलाह और खुद को बचाते हुए पीछे हट रही थी। थानेदार का सर बुरी तरह फूट गया दो सिपाही उसे सँभालते हुए पीछे हट रहे थे बड़े अफसर, एस डी ऍम, सब मौके से गायब थे। ऑर्रडर देने वाला कोई दूर दूर तक नहीं था। भीड़ हावी होती जा रही थी। सब को कहीं न कही चोट लगी थी।भीड़ को लाठी डंडो से काबू करने के हालात तो बिलकुल भी नहीं थे। सबकी जान पर बनी हुई थी परंतु हाथ में लोड राइफल होते हुए भी जवान गोली चलाने से बच रहे थे, कैसी कायर स्तिथि थी। अचानक हवलदार बुधना को भीड़ ने पकड़ लिया और एक आदमी ने बुधना के सर पर कैरोसिन की गैलन उंडेल दी और दूसरे ने माचिस निकाली ही थी की धाँय की आवाज हुई और माचिस वाला जमीं पर लुढकने लगा।दूसरी आवाज में तेल के गैलन वाला जमीं पर कला बाजी खा रहा था । भीड़ जहां थी वहीँ थम गयी और उलटे पावँ भागने लगी लेकिन......अब गोलियों की आवाज थमने का नाम नहीं ले रहीं थी, एक एक कर उसने मैगज़ीन खाली कर दी। पुलिस सुरक्षित थी। उसकी वजह से सब बच गए। जमीन पर कुछ वहसी अब मांस के लोथड़े भर रह गए थे, जिन्हें वह अपने बूट की ठोकरों से कुचल रहा था। साथी अब उसे सँभालने में लगे थे जिसने सबको संभाल लिया।
भीड़ अब भी थी, मीडिया वालों की, बड़े अफसरों की, बड़े छोटे नेताओं की...... मुर्दों के फोटो खींचे जा रहे थे,घायलों से सवाल पूछे जा रहे थे , मिडिया उसे एक विलेन की तरह से कवर कर रहा था। तीन चार जवान उसे कैमरों से दूर ले जाने की कोशिश में लगे थे, बुधना अब भी तेल में भीगा हुआ वहीँ मौजूद था कुछ कहने की कोशिश कर रहा था पर कोई उसकी सुन ही नहीं रहा था........? TV पर ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही है एक पागल सिपाही ने 5 निर्दोष लोगों की गोली मार कर ह्त्या कर दी और 10 लोगों की हालत गंभीर बानी हुई है। प्रत्येक मृतक के परीजनों को 20-20 लाख और गंभीर रूप से घायलों को 5 लाख की मुआवजा राशि की घोषणा राज्य सरकार ने की है। गोली चलाने वाले सिपाही को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है। .........?.......
दो साल बाद आज कोर्ट का फैसला आएगा ,पुलिस के वो सभी साथी अब इधर उधर दूसरी जिलों में चले गए हैं, फिर भी 5/6 लोग आये हैं, बुधना हवलदार रिटायर हो गया है पर वो मौजूद है, मैं हमेशा ही उससे मिलने जेल आता रहा हूँ।, हर बार उसे ढाढ़स देकर खुद रोता हुआ वापस जाता हूँ।
अपने बस का है भी क्या । आज भी हम सब वही कर रहे थे।उसके पास ढाढ़स के सिवा कुछ नहीं है ।परिवार से बीबी और 12 साल का बड़ा बेटा आये हैं, पिताजी अब नहीं आते पहले आते थे, कैसे आएं अब दुनिया में ही नहीं हैं।कोई बड़ा अफसर भी नहीं आया, उनके पास इन फॉलतू कामों के लिए समय ही कहाँ है। थाने से एक SI जरूर लीगल ब्रांच से कोर्ट के आर्डर की कापी लेने आया है।......
जज साहब अपनी सीट पर आकर बैठ गए हैं। फैसला लिखवाया जा रहा है,जज साहब प्रकांड विद्वान सरीखे हैं उदाहरण और दलीलें भी फैसले के साथ साथ लिखवा रहे हैं.......?.....अंत की उस एक लाइन ने जैसे उसकी सब आशाओं और हिम्मत का अंत कर दिया......"उम्र कैद,मृत्यु आने तक"। मौन होकर उसने फैसला सुना , पत्नी फर्स पर बेहोश पड़ी है, बुधना और बाकी साथी उससे लिपट कर बिलखने लगे, बेटा कातर आँखों से कभी बाप को देख रहा है तो कभी जमीं पर पड़ी माँ को उठाने का नाकाम सा प्रयास कर रहा है।.........? उसने बेटे के सर पर हाथ फेरा.....
फिर बुधना से सिर्फ इतना कहा ," उस्ताद.......मर तो उस दिन भी गए ही थे, अगर तब मर जाते तो आज गले लग कर कहाँ रो पाते, हो सके तो इसे कहीं भर्ती करवा देना.......? और कोई रोजगार तो हम जैसों को.........?
( *एक* *कथा* )
भीड़ अब भी थी, मीडिया वालों की, बड़े अफसरों की, बड़े छोटे नेताओं की...... मुर्दों के फोटो खींचे जा रहे थे,घायलों से सवाल पूछे जा रहे थे , मिडिया उसे एक विलेन की तरह से कवर कर रहा था। तीन चार जवान उसे कैमरों से दूर ले जाने की कोशिश में लगे थे, बुधना अब भी तेल में भीगा हुआ वहीँ मौजूद था कुछ कहने की कोशिश कर रहा था पर कोई उसकी सुन ही नहीं रहा था........? TV पर ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही है एक पागल सिपाही ने 5 निर्दोष लोगों की गोली मार कर ह्त्या कर दी और 10 लोगों की हालत गंभीर बानी हुई है। प्रत्येक मृतक के परीजनों को 20-20 लाख और गंभीर रूप से घायलों को 5 लाख की मुआवजा राशि की घोषणा राज्य सरकार ने की है। गोली चलाने वाले सिपाही को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है। .........?.......
दो साल बाद आज कोर्ट का फैसला आएगा ,पुलिस के वो सभी साथी अब इधर उधर दूसरी जिलों में चले गए हैं, फिर भी 5/6 लोग आये हैं, बुधना हवलदार रिटायर हो गया है पर वो मौजूद है, मैं हमेशा ही उससे मिलने जेल आता रहा हूँ।, हर बार उसे ढाढ़स देकर खुद रोता हुआ वापस जाता हूँ।
अपने बस का है भी क्या । आज भी हम सब वही कर रहे थे।उसके पास ढाढ़स के सिवा कुछ नहीं है ।परिवार से बीबी और 12 साल का बड़ा बेटा आये हैं, पिताजी अब नहीं आते पहले आते थे, कैसे आएं अब दुनिया में ही नहीं हैं।कोई बड़ा अफसर भी नहीं आया, उनके पास इन फॉलतू कामों के लिए समय ही कहाँ है। थाने से एक SI जरूर लीगल ब्रांच से कोर्ट के आर्डर की कापी लेने आया है।......
जज साहब अपनी सीट पर आकर बैठ गए हैं। फैसला लिखवाया जा रहा है,जज साहब प्रकांड विद्वान सरीखे हैं उदाहरण और दलीलें भी फैसले के साथ साथ लिखवा रहे हैं.......?.....अंत की उस एक लाइन ने जैसे उसकी सब आशाओं और हिम्मत का अंत कर दिया......"उम्र कैद,मृत्यु आने तक"। मौन होकर उसने फैसला सुना , पत्नी फर्स पर बेहोश पड़ी है, बुधना और बाकी साथी उससे लिपट कर बिलखने लगे, बेटा कातर आँखों से कभी बाप को देख रहा है तो कभी जमीं पर पड़ी माँ को उठाने का नाकाम सा प्रयास कर रहा है।.........? उसने बेटे के सर पर हाथ फेरा.....
फिर बुधना से सिर्फ इतना कहा ," उस्ताद.......मर तो उस दिन भी गए ही थे, अगर तब मर जाते तो आज गले लग कर कहाँ रो पाते, हो सके तो इसे कहीं भर्ती करवा देना.......? और कोई रोजगार तो हम जैसों को.........?
( *एक* *कथा* )
Wow nice.....
ReplyDeleteI dont know how real this incident is, I hope it is not. I myself am a civil services aspirant. Stories of officers like you and then the stories of Police Brutality (whenever so reported) shatter me. ये कैसा धर्म संकट है जो ताउम्र चलता है?
ReplyDeleteOn 19 August 2005, 온라인카지노 the Arbitrator circulated his Award to the Members, figuring out that the cheap time period for implementation was eleven months and 2 of|and a pair of} weeks from 20 April 2005, expiring on 3 April 2006. This abstract has been prepared by the Secretariat beneath its own responsibility. The abstract is for general info only and is not meant to have an effect on} the rights and obligations of Members. We can guess on whether or not an announcement is true or false, or that an event will happen, i.e., a again guess. Finding a therapist is a huge step in caring in your psychological health.
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