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World Wide Web Consortium (W3C)

World Wide Web Consortium (W3C) is an international Standards Body headquartered at MassachusettsInstitute of Technology , USA , develops Standards / Best Practices / recommendations to ensure seamless web access to all. The Vision of W3C is to achieve “Web for Everyone and Web on Everything.” W3C works in tandem with others standards making bodies such as UNICODE, IETF, ICANN , ISO , ITU at the international level.

W3C India Office was launched in May2010 with the long term vision of “Enabling Web in 22 Indian languages” .

W3C India Office is functioning under the aegis of Technology Development for Indian Languages (TDIL)Programme of Department of Information Technology. The objective of W3C India office is to promote adoption of W3C recommendations among developers, application builders, standardization bodies and policy makers , and to encourage inclusion of stakeholder organizations in the creation of National recommendations and their inclusion in W3C state-of the art and futuristic standards of W3C.

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कर्ण और कृष्ण का संवाद - रामधारी सिंह 'दिनकर'

Following is excerpt from poem Rashmirathi written by Ram dhari singh dinkar. Karna reply to Krishna when he told story of his birth and ask him to join pandava side. सुन-सुन कर कर्ण अधीर हुआ, क्षण एक तनिक गंभीर हुआ,  फिर कहा "बड़ी यह माया है, जो कुछ आपने बताया है  दिनमणि से सुनकर वही कथा मैं भोग चुका हूँ ग्लानि व्यथा  मैं ध्यान जन्म का धरता हूँ, उन्मन यह सोचा करता हूँ,  कैसी होगी वह माँ कराल, निज तन से जो शिशु को निकाल  धाराओं में धर आती है, अथवा जीवित दफनाती है?  सेवती मास दस तक जिसको, पालती उदर में रख जिसको,  जीवन का अंश खिलाती है, अन्तर का रुधिर पिलाती है  आती फिर उसको फ़ेंक कहीं, नागिन होगी वह नारि नहीं  हे कृष्ण आप चुप ही रहिये, इस पर न अधिक कुछ भी कहिये  सुनना न चाहते तनिक श्रवण, जिस माँ ने मेरा किया जनन  वह नहीं नारि कुल्पाली थी, सर्पिणी परम विकराली थी  पत्थर समान उसका हिय था, सुत से समाज बढ़ कर प्रिय था  गोदी में आग लगा कर के, मेरा कुल-वंश छिपा कर के  दुश्मन का उसने काम किया, माताओं को बदनाम किया  माँ का पय भी न पीया मैंने, उलटे अभिशाप लिया मैंने  वह तो यशस्विनी बनी रह

एक पुलिसवाले की व्यथा

लोग अक्सर कहते हैं कि पुलिस सही तरीके से क्राइम कंट्रोल नहीं करती है लेकिन पुलिस करे तो करे क्या। उग्र भीड़ को क्राइम कंट्रोल करने पर आधारित एक लघु कथा। उन्मादी भीड़ हाथों में नंगी तलवारें, लाठी, डंडे लिए पागलों की तरह पुलिस वालों को पत्थर मार मार कर खदेड़ रही थी। उसकी पुलिस भीड़ से अपना असलाह और खुद को बचाते हुए पीछे हट रही थी। थानेदार का सर बुरी तरह फूट गया दो सिपाही उसे सँभालते हुए पीछे हट रहे थे बड़े अफसर, एस डी ऍम, सब मौके से गायब थे। ऑर्रडर देने वाला कोई दूर दूर तक नहीं था। भीड़ हावी होती जा रही थी। सब को कहीं न कही चोट लगी थी।भीड़ को लाठी डंडो से काबू करने के हालात तो बिलकुल भी नहीं थे। सबकी जान पर बनी हुई थी परंतु हाथ में लोड राइफल होते हुए भी जवान गोली चलाने से बच रहे थे, कैसी कायर स्तिथि थी। अचानक हवलदार बुधना को भीड़ ने पकड़ लिया और एक आदमी ने बुधना के सर पर कैरोसिन की गैलन उंडेल दी और दूसरे ने माचिस निकाली ही थी की धाँय की आवाज हुई और माचिस वाला जमीं पर लुढकने लगा।दूसरी आवाज में तेल के गैलन वाला जमीं पर कला बाजी खा रहा था । भीड़ जहां थी वहीँ थम गयी और उलटे पावँ भागने लगी लेकिन......अ

रश्मिरथी ( सप्तम सर्ग ): कर्ण वध - रामधारी सिंह 'दिनकर'

1 निशा बीती, गगन का रूप दमका, किनारे पर किसी का चीर चमका। क्षितिज के पास लाली छा रही है, अतल से कौन ऊपर आ रही है ? संभाले शीश पर आलोक-मंडल दिशाओं में उड़ाती ज्योतिरंचल, किरण में स्निग्ध आतप फेंकती-सी, शिशिर कम्पित द्रुमों को सेंकती-सी, खगों का स्पर्श से कर पंख-मोचन कुसुम के पोंछती हिम-सिक्त लोचन, दिवस की स्वामिनी आई गगन में, उडा कुंकुम, जगा जीवन भुवन में । मगर, नर बुद्धि-मद से चूर होकर, अलग बैठा हुआ है दूर होकर, उषा पोंछे भला फिर आँख कैसे ? करे उन्मुक्त मन की पाँख कैसे ? मनुज विभ्राट् ज्ञानी हो चुका है, कुतुक का उत्स पानी हो चुका है, प्रकृति में कौन वह उत्साह खोजे ? सितारों के हृदय में राह खोजे ? विभा नर को नहीं भरमायगी यह है ? मनस्वी को कहाँ ले जायगी यह ? कभी मिलता नहीं आराम इसको, न छेड़ो, है अनेकों काम इसको । महाभारत मही पर चल रहा है, भुवन का भाग्य रण में जल रहा है। मनुज ललकारता फिरता मनुज को, मनुज ही मारता फिरता मनुज को । पुरुष की बुद्धि गौरव खो चुकी है, सहेली सर्पिणी की हो चुकी है, न छोड़ेगी किसी अपकर्म को वह, निगल ही जायगी सद्धर्म को वह । मरे अभिमन्यु अथवा भीष्म टूटें, पिता के प्राण

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The Union Cabinet recently approved a scheme for creation of a National Optical Fiber Network (NOFN) for providing Broadband connectivity to Panchayats. The objective of the scheme is to extend the existing optical fiber network which is available up to district / block HQ’s level to the Gram Panchayat level initially by utilizing the Universal Service Obligation Fund (USOF). The cost of this initial phase of the NOFN scheme is likely to be about Rs.20,000 crore. A similar amount of investment is likely to be made by the private sector complementing the NOFN infrastructure while providing services to individual users. In economic terms, the benefits from the scheme are expected through additional employment, e-education, e-health, e-agriculture etc. and reduction in migration of rural population to urban areas. As per a study conducted by the World Bank, with every 10% increase in broadband penetration, there is an increase in GDP growth by 1.4%. NOFN will also facilitate implemen

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