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Text-To- Speech system (TTS) and Optical Character Recognition System (OCRA).

Text-to-Speech is computer software , developed by TDIL ,which transforms the machine readable text into Human Voice. It is developed to enable people with visual impairments or low vision disabilities to listen to written works on a computer or a mobile device. Text to Speech system integrated with screen reader would enable visually challenged users to interpret and perform computer operations with audio interface. It allows easy navigation using the screen reader facility.

TTS has been launched in six Indian languages Hindi, Marathi, Bangla, Telugu, Tamil & Malayalam. TTS has also been integrated with Non Visual Desktop Access (NVDA) screen reader and Optical Character Recognition System (OCRA).

Optical Character Recognition systems recognize printed script and convert paper documents to electronic form so that printed books and records can be accessed and processed using computer based techniques. OCR for Indian scripts can make Indian literature web accessible.Also OCR-ed electronic data can be used to generate Braille version of printed books for visually challenged. Also OCR's can enable text-to-speech systems to deliver Indian language books through the medium of audio.

These technologies integrated together will help differently-abled persons to access electronic data and help them to awail benefits of Information Technology

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Following is excerpt from poem Rashmirathi written by Ram dhari singh dinkar. Karna reply to Krishna when he told story of his birth and ask him to join pandava side. सुन-सुन कर कर्ण अधीर हुआ, क्षण एक तनिक गंभीर हुआ,  फिर कहा "बड़ी यह माया है, जो कुछ आपने बताया है  दिनमणि से सुनकर वही कथा मैं भोग चुका हूँ ग्लानि व्यथा  मैं ध्यान जन्म का धरता हूँ, उन्मन यह सोचा करता हूँ,  कैसी होगी वह माँ कराल, निज तन से जो शिशु को निकाल  धाराओं में धर आती है, अथवा जीवित दफनाती है?  सेवती मास दस तक जिसको, पालती उदर में रख जिसको,  जीवन का अंश खिलाती है, अन्तर का रुधिर पिलाती है  आती फिर उसको फ़ेंक कहीं, नागिन होगी वह नारि नहीं  हे कृष्ण आप चुप ही रहिये, इस पर न अधिक कुछ भी कहिये  सुनना न चाहते तनिक श्रवण, जिस माँ ने मेरा किया जनन  वह नहीं नारि कुल्पाली थी, सर्पिणी परम विकराली थी  पत्थर समान उसका हिय था, सुत से समाज बढ़ कर प्रिय था  गोदी में आग लगा कर के, मेरा कुल-वंश छिपा कर के  दुश्मन का उसने काम किया, माताओं को बदनाम किया  माँ का पय भी न पीया मैंने, उलटे अभिशाप लिया मैंने  वह तो यशस्विनी बनी रह

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