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Commission for Scientific and Technical Terminology

Commission for Scientific and Technical Terminology was set up on 1st October, 1961 by a resolution of Government of India, Ministry of Education.The resolution of the Government was as per the recommendations of a Committee constituted under the provisions of clause (4) of Article 344 of the Constitution.The duties and functions of the Commission are as follows
  • To evolve and define scientific and technical terms in Hindi and all Indian languages and publish glossaries, definitional dictionaries, encyclopaedia. 
  • To see that the evolved terms and their definitions reach the students, teachers, scholars, scientists, officers etc. 
  • To ensure proper usage/ necessary updation/ correction/ improvement on the work done (through workshops/ seminars/ orientation programmes) by obtaining useful feedback. 
  • To coordinate with all states to ensure uniformity of terminology in Hindi and other Indian languages. (Through State Governments/ Granth Academies/ University Cells/ Glossary Clubs or other agencies). 
  • To publish/encourage publication of books in Hindi and Indian languages for popularization and usage of standard terminology.

Comments

  1. s for sharing the article, and more importantly, your personal experience mindfully using our emotions as data about our inner state and knowing when it’s better to de-escalate by taking a time out are great tools. Appreciate you reading and sharing your story since I can certainly relate and I think others can to

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Following is excerpt from poem Rashmirathi written by Ram dhari singh dinkar. Karna reply to Krishna when he told story of his birth and ask him to join pandava side. सुन-सुन कर कर्ण अधीर हुआ, क्षण एक तनिक गंभीर हुआ,  फिर कहा "बड़ी यह माया है, जो कुछ आपने बताया है  दिनमणि से सुनकर वही कथा मैं भोग चुका हूँ ग्लानि व्यथा  मैं ध्यान जन्म का धरता हूँ, उन्मन यह सोचा करता हूँ,  कैसी होगी वह माँ कराल, निज तन से जो शिशु को निकाल  धाराओं में धर आती है, अथवा जीवित दफनाती है?  सेवती मास दस तक जिसको, पालती उदर में रख जिसको,  जीवन का अंश खिलाती है, अन्तर का रुधिर पिलाती है  आती फिर उसको फ़ेंक कहीं, नागिन होगी वह नारि नहीं  हे कृष्ण आप चुप ही रहिये, इस पर न अधिक कुछ भी कहिये  सुनना न चाहते तनिक श्रवण, जिस माँ ने मेरा किया जनन  वह नहीं नारि कुल्पाली थी, सर्पिणी परम विकराली थी  पत्थर समान उसका हिय था, सुत से समाज बढ़ कर प्रिय था  गोदी में आग लगा कर के, मेरा कुल-वंश छिपा कर के  दुश्मन का उसने काम किया, माताओं को बदनाम किया  माँ का पय भी न पीया मैंने, उलटे अभिशाप लिया मैंने  वह तो यशस्विनी बनी रह

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