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Section 3(D) of the Indian Patent Act

Section 3(d) of the Indian Patent Act 1970 (as amended in 2005) does not allow patent to be granted to inventions involving new forms of a known substance unless it differs significantly in properties with regard to efficacy. Thus, the Indian Patent Act does not allow evergreening of patents. This is a cause of concern to the US pharma companies.

The United States of America has on 30th April, 2014 brought out the Special 301 Report for the year 2014 which classified India as a “Priority watch list country”. The concerns identified in the report are based on the inputs provided by the US industry on their perception of the level of protection provided by India to Intellectual Property. Issues that have been flagged in the report include, inter-alia, concerns over the provision of section 3(d) of the Patent Act which relates to non-patentability of inventions involving chemical forms that do not show increased efficacy, issue of Compulsory License by the Controller General of Patent, Designs and Trademarks under section 84 of the Patents Act, inclusion of a statement relating to Compulsory License for green technologies in India’s National Manufacturing Policy and challenges relating to enforcement of IP Rights.

The Special 301 process is a unilateral measure taken by the United States under their Trade Act, 1974 to create pressure on countries to increase Intellectual Property Rights (IPR) protection beyond the TRIPS Agreement. It is an extra territorial application of the domestic law of a country and is not tenable under the overall WTO regime.

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Following is excerpt from poem Rashmirathi written by Ram dhari singh dinkar. Karna reply to Krishna when he told story of his birth and ask him to join pandava side. सुन-सुन कर कर्ण अधीर हुआ, क्षण एक तनिक गंभीर हुआ,  फिर कहा "बड़ी यह माया है, जो कुछ आपने बताया है  दिनमणि से सुनकर वही कथा मैं भोग चुका हूँ ग्लानि व्यथा  मैं ध्यान जन्म का धरता हूँ, उन्मन यह सोचा करता हूँ,  कैसी होगी वह माँ कराल, निज तन से जो शिशु को निकाल  धाराओं में धर आती है, अथवा जीवित दफनाती है?  सेवती मास दस तक जिसको, पालती उदर में रख जिसको,  जीवन का अंश खिलाती है, अन्तर का रुधिर पिलाती है  आती फिर उसको फ़ेंक कहीं, नागिन होगी वह नारि नहीं  हे कृष्ण आप चुप ही रहिये, इस पर न अधिक कुछ भी कहिये  सुनना न चाहते तनिक श्रवण, जिस माँ ने मेरा किया जनन  वह नहीं नारि कुल्पाली थी, सर्पिणी परम विकराली थी  पत्थर समान उसका हिय था, सुत से समाज बढ़ कर प्रिय था  गोदी में आग लगा कर के, मेरा कुल-वंश छिपा कर के  दुश्मन का उसने काम किया, माताओं को बदनाम किया  माँ का पय भी न पीया मैंने, उलटे अभिशाप लिया मैंने  वह तो यशस्विनी बनी रह

रश्मिरथी ( सप्तम सर्ग ): कर्ण वध - रामधारी सिंह 'दिनकर'

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